तितली की दोस्ती.                                                     ======×=======.                                                        एक सुंदर बगीचा था। जिसका नाम मधुबन था। तिल्ली और तेजी नाम की दो तितलियां भी   यही रहती थी। दोनों ही मेहनत करती थी। दिनभर फूलों का रस इकट्ठा करती थी। धूप हो या बारिश हो अपने काम में जुटी रहती थी। तिल्ली का रंग रूप आकर्षक नहीं था। प्रथम दृष्टि से देखने पर तिल्ली किसी को भी अच्छी नहीं लगती थी। पर कोई एक बार उससे बात कर ले तो उससे दोस्ती किए बिना नहीं रह पाता। उसकी बातों में सम्मोहन था सभी उसके व्यवहार की खूब तारीफ करते थे।
          वहीं दूसरी ओर तेजी की सुंदरता को देखकर कोई भी सम्मोहित हो जाता था। उसका इंद्रधनुषी रंग रूप किसी को भी उसके और खींच लेता था। भले ही तेजी मधुबन के सबसे सुंदर तितली थी पर उसका व्यवहार उतना ही कड़वा था। कोई भी उससे एक बार बात कर लेता तो उसे दोबारा बात करने का मन नही करता।तेजी को अपनी सुंदरता पर घमंड था।
            उसके इसी घमंड ने उसे पूरे मधुबन में अलोकप्रियता बना दिया था। तिल्ली हमेशा तेजी से मित्रता करना चाहती थी। उसनें कई बार कोशिश भी की। लेकिन हर बार तेजी उसे अपमानित करती थी। तेजी ने कई बार तिल्ली को तितलियों के समूह के बीच में खिल्ली उड़ाई थी। वह तिल्ली के रंग रूप को लेकर बयान करती थी। इसके बावजूद तिल्ली के मन में तेजी को लेकर किसी प्रकार का संदेश नहीं हुआ उसने हमेशा तितली को अपना मित्र ही समझा।                                                एक बार मधुबन में कुछ लोग आ गए थे। उनके हाथों में जालिया थी ।वे खोज खोज कर सुंदर और रंगीन तितलियों को जाल में फंसा रहे थे ।जो तितलिया सुंदर नहीं थी उसे उड़ा देते सभी तितलियों का घर से निकलना मुश्किल हो गया था ।तिल्ली भी घर में दुखी रहती ।थी 3 दिन से उसने कुछ खाया पिया नहीं था ।जब तिल्ली को ये बात पता चला तो वह तुरंत तेजी के पास गई ।उसने तेजी की ओर पीने को फूल का रस बढ़ाया पहले तेजी सोचने लगी। फिर उसने सारा रस एक ही घूंट में पीलिया ।तब जाकर उसकी जान में जान आई वह थोड़ा शर्मिंदा भी थी। उसने तिल्ली से कहा मैंने हमेशा तुम्हारा मजाक उड़ाया है। लेकिन आज तो अपने मेरी जान बचाई है। यह एहसास मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती। तिल्ली बोली  मैं तुम्हें हमेशा अपना दोस्त समझा है ।मैंने तो दोस्ती का पर्ज निभाया है ।यह सब छोड़ो उन शिकारियों को कैसे मधुबन से भगाए यह सोचो। हां उन धूर्त शिकारियों को भगाने ही पड़ेगा ।तेजी ने गुस्से में कहा मधुमक्खियों से मदद मांगते हैं तेजी और तिल्ली दोनों मधुमक्खी के पास मदद के लिए पहुंचे। मधुमक्खियों की रानी मदद के लिए तैयार हो गई ।रानी समेत मधुमक्खियों को सेना ने शिकारियों पर हमला कर उन्हें खदेड़ दिया। मधुबन पुनः दमक में लगा तेजी का स्वभाव पूरी तरह बदल चुका था।उसने इसका पूरा श्रेय अपने मित्र तिल्ली को दिया।

 
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