Friday, 15 November 2019

                    ,💐एक घड़ी का सत्संग💐,

          आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित स्टोरी, एक घड़ी का सत्संग कबीर साहब कहते हैं। कि एक घड़ी का सत्संग इतना अनमोल हैं कि आपको  डोली में  बिठाकर  स्वर्ग तक पहूंचा  सकता है ।इसे समझने के लिए  पूरी कहानी जरूर पढे। कबीर साहब ने बलक बुखारा के बादशाह से कहा भाई मैं आपके काम कर दूंगा परंतु आप एक घड़ी मेरा सत्संग सुन लीजिए। कबीर साहब ने बादशाह का काम करते हुए 1 घंटे तक सत्संग सुनाते रहे । सत्संग समाप्त होने पर कबीर  साहिब ने बादशाह से कहा कि जब आपसे सत्संग के विषय में पूछा जाएगा तो आपने एक घड़ी की सत्संग के फल की ईच्छा कहना। कुछ समय  पश्चात जब बादशाह का अंत समय आया। और वह मृत्यु  उपरांत बादशाह  धर्मराज के दरबार में  अपने पाप पुण्य का लेखा जोखा  देने पहुंचा। जब यमराज ने कहा  !इस पापी आत्मा ने  भगवान की भक्ति या सत्संग नहीं किया है  इसे कठिन सजा दी जाए  तब उस बादशाह ने कहा!  मैंने एक घड़ी सत्संग सुनना है । आप मुझे एक घड़ी के सत्संग का फल बताइए।


यमराज सोचने लगा !और कहां इसका फल तो ब्रह्मा जी बता सकते हैं चलो ब्रह्मा जी के पास चलते हैं।
तब उस बादशाह की आत्मा ने का मैं पैदल जाने वाला नहीं हूं  ।आप मेरे लिए डोली बुलाएंगे मैं डोली में बैठकर ही जाऊंगा । और एक साइड यमराज स्वयं डोली उठाएंगेl

डोली बुलवाई ओर यमराज और उनके सैनिको ने डोली उठाई और चले ब्रह्मा जी के पास ।पहुंचे ब्रह्मा जी से कहने लगे, भगवान आप एक घड़ी के सत्संग का फल समझाइए ।ब्रह्मा जी ने कहा मुझे भी इसका फल नहीं मालूम, इसे विष्णु जी से पूछा जाए। चलो विष्णु जी के पास चलते हैं।
तब बादशाह ने कहा एक सैनिक को हटाकर ब्रह्माजी डोली पकड़ेंगे .विष्णु जी के पास जाएंगे यमराज और ब्रह्मा जी डोली लेकर विष्णु जी के पास चले। विष्णु जी दूर से देखते हैं कोई महान आत्मा चली आ रही है डोली में बैठकर जिसे यमराज और ब्रह्माजी संभाले हुए हैं पहुंचने पर यमराज और ब्रह्मा जी विष्णु जी से कहते हैं ।भगवान बतलाईए  बतलाईए एक घड़ी सत्संग का फल बताइए ।तब विष्णु जी ने कहा इसका फल तो मुझे भी नहीं पता ।इसके लिए हमें शंकर जी के पास चलना होगा ।तब बादशाह ने कहा विष्णु जी एक सैनीक को कम कर डोली में लग जाइए ।और चलिए शंकर जी के पास यमराज ब्रह्मा जी विष्णु जी डोली लिए हुए शंकर जी के पास जाने लगे ।शंकर जी दूर से देखते हैं कि कोई महान आत्मा डोली में बैठी हुई चली आ रही है ।इस डोली को ब्रह्मा जी ,शंकर जी ,और यमराज स्वयं उठाकर शंकर जी के पास पहुंचे ।शंकर जी से कहने लगे भगवान एक घड़ी के सत्संग का फल क्या होता है ।बताइए शंकर जी कहने लगे कि इसका फल मुझे भी नहीं मालूम ।इसका फल पूछने के लिए हमें पूर्ण परमात्मा सत पुरुष के पास चलना होगा। वही हमें एक घडी के सत्संगका फल बता सकते है।
शंकर जी बोले चलिए पूर्ण परमात्मा सत पुरुष के पास चलते हैं ।वही हमें इसका फल बताएंगे ,वह बादशाह वाली आत्मा फिर बोली ।अच्छा तो शंकर जी आप भी एक्साइड डोली उठाइए ।और सैनिक को हटाइए। तब मैं पूर्ण परमात्मा के पास चलूंगा। उस डोली को यमराज, ब्रह्मा, जी ,विष्णु जी, शंकर जी उठाए हुए पूर्ण परमात्मा के पास चलते हैं ।जैसे ही  पूर्ण परमात्मा दूर से देखता है ।डोली में  बैठकर मेरा भक्त आ रहा  हैं । स्वयं यमराज ,ब्रह्मा ,विष्णु ,और शंकर जी चारों डोली उठाएं हूए इस प्रकार पहुंचने पर ब्रह्मा विष्णु महेश यमराज ने हाथ जोड़कर पूर्ण परमात्मा से प्रार्थना कि की परमेश्वर आप एक घड़ी के सत्संग का फल बताइए ।तब पूर्ण परमेश्वर बड़े प्यार से कहते हैं ।यही तो एक घड़ी के सत्संग का फल है जिसकी डोली यमराज, ब्रह्मा ,विष्णु और महेश तीनों देवता उठाकर सतलोक धाम तक मुक्ति हेतु लेकर आए हो इससे बड़ा और एक घड़ी के सत्संग का फल क्या हो सकता है ।जनहित में शेयर कीजिए ।और भक्ति में लगे रहे पूर्ण परमात्मा की भक्ति कीजिए?

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