Sunday, 22 December 2019

(तत्वज्ञान ) श्री ब्रह्मा जी ,श्री विष्णु जी ,श्री शिव जी ,की उत्पत्ति का रहस्य।

श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी , श्री शिन्व जी की, _त्उत्पत्ति 

काल (ब्राह्) ने (प्रकृति) दुर्गा से कहा कि अब मेरा कौन क्या बिगड़ेगा? मनमानी हरकत करूंगा। प्रकृति( दुगा )ने फिर प्रार्थना कि की आप कुछ शर्म करो।प्रथम तो आप मेरे बड़े भाई हो, क्योंकि उस पूर्ण परमात्मा कबीर के वचन शक्ति से बने अंडे से आप की उत्पत्ति हुई है । तथा बाद में मेरी उत्पत्ति उसी परमेश्वर के वचन शक्ति से उई है। दूसरे मैं आपके पेट से बाहर निकली हूं ,मैं आपकी बेटी ,तथा आप मेरे पिता हुए। इस पवित्र नातो मैं बिगाड़ करना महापाप होगा। मेरे पास पिता की प्रदान की हुई  शब्द शक्ति है, जितने प्राणी आप चाहोगे मैं वचन से उत्पन्न कर दूंगी। जोत निरंजन ने दुर्गा की एक भी विनय नहीं सुनी। तथा कहा कि मुझे जो सजा मिलनी थी। मिल गई मुझे सतलोक से निष्कासित कर दिया। अब मनमानी करूंगा यह कह कर काल पुरुष ने प्रकृति के साथ जबरदस्ती शादी की ।तथा तीन पुत्र रज गुण ब्रह्मा जी, सद्गुण विष्णु जी, तथा तम गुण शिव जी, की उत्पत्ति की।
जवान होने तक तीनों पुत्रों को दुर्गा के द्वारा अचेत करा देता है। फिर युवा होने पर श्री ब्रह्मा जी को कमल के फूल पर, श्री विष्णु जी को शेषनाग की सैया पर, तथा श्री शिव जी को कैलाश पर्वत पर, सचेत कर देता है। तत्पश्चात (प्रकृति ) दुर्गा द्वारा इन तीनों का विवाह कर दिया जाता है । तथा एक ब्रह्मांड में तीन लोक स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक ,पाताल लोक, में एक एक  विभाग के मंत्री नियुक्त कर देता है। जैसे श्री ब्रह्मा जी को रजगुण विभाग ,तथा विष्णु जी को सतगुण  विभाग, तथा शिव शंकर जी को तमोगुण विभाग का ,तथा स्वयं  गुप्त महा ब्रह्मा ,महा विष्णु ,महा शिव ,रूप में मुख्यमंत्री पद को संभालता हैः। एक ब्रह्मांड में एक ब्रह्मलोक की रचना की है ।
उसी में तीन गुप्त स्थान बनाए हैं, एक रजोगुण प्रदान स्थान, जहां पर यह काल स्वयं ब्रह्मा मुख्यमंत्री रूप में रहता है ।तथा अपनी पत्नी दुर्गा को महा सावित्री रूप में रखता है। इन दोनों के सहयोग से जो पुत्र ईस स्थान पर उत्पन्न होता है ,वह स्वता ही रजोगुण बन जाता है ।
दूसरा स्थान सतोगुण प्रधान स्थान बनाया है। वहां पर यह काल पुरुष विष्णु रूप बनकर रहता है ।तथा अपनी पत्नी दुर्गा को लक्ष्मी रूप में रखकर जो पुत्र उत्पन्न करता है ।उसका नाम विष्णु रखता है ,वह बालक सतोगुण युक्त होता है।
तीसरा इसी काल ने वहीं पर एक तमोगुण प्रधान क्षेत्र बनाया उसमें यह स्वयं सदाशिव रूप बनाकर रहता है ।तथा अपनी पत्नी दुर्गा को महा पार्वती रूप में रखता है। इन दोनों के पति पत्नी व्यवहार से जो पुत्र उत्पन्न होता है उसका नाम शिव रख देते हैं ।तथा तमोगुण युक्त कर देते हैं।
(प्रमाण के लिए देखें पवित्र शिवपुराण ,बिंदेश्वर संहिता पृष्ठ नंबर 24 ,26 जिसमें ब्रह्मा विष्णु तथा महेश से अन्य सदस्य है ।तथा रूद्र संहिता अध्याय 6 तथा 7,9 पृष्ठ 100 से 150 ,110 पर अनुवाद करता ,श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित है।)फिर इन्हीं को धोखे में रखकर अपने खाने के लिए जिवो की उत्पत्ति  श्री ब्रह्मा जी द्वारा  एक दूसरे को मोह माया में रखकर काल जाल में रखना। श्री विष्णु जी से पालन तथा शिवजी से संहार ।
क्योंकि काल पुरुष को श्राप वस एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर से मैल निकालकर खाना होता है ।उसके लिए 21 ब्रह्मांड में एक तप्तशीला है, जो हमेशा गर्म रहती है। उस पर गर्म करके मैल पिघलाकर खाता है। जिव मरते नहीं है। परंतु कष्ट असहनिया होता है । फिर प्राणियों को कर्म आधार पर अन्य शरीर प्रदान करता है। जो कार्य श्री शिव जी द्वारा करवाता है ।जैसे किसी मकान में तीन कमरे बने हो, एक कमरे में अश्लील चित्र लगे हो, उस कमरे में जाते ही मन में वैसे ही मलिन विचार उत्पन्न हो जाते हैं। दूसरे कमरे में साधु संतो भक्तों के चित्र लगे हो तो मन में अच्छे विचार प्रभु का चिंतन ही बना रहता है। तीसरे कमरे में देशभक्तों वह शहीदों के चित्र लगे होते हैं ,तो मन में वैसे ही जोशीले विचार उत्पन्न हो जाते हैं ।ठीक इसी प्रकार (ब्रह्मा) काल ने अपने सूझ -बूझ से उपरोक्तअनुसार तीन गुन प्रधान स्थानों की रचना की है।
अधिक जानकारी या आगे पीछे का पढ़ने के लिए उल्लेख ज्ञानसागर ब्लॉक या www.dkmalviyaddresblagcom सर्च करें और इस गूढ़ रहस्य को ग्रहण करें। भोली आत्माओ जय बंदी छोड़ की जय।

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